जनगणना में प्रति व्यक्ति 82 रुपए खर्च आएगा:2011 के मुकाबले पांच गुना ज्यादा राशि, 2021 में 64 रुपए प्रति व्यक्ति बजट था तय

भारत में 2026-27 में होने वाली जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी और इसमें प्रति व्यक्ति खर्च 82 रुपए तक पहुंच जाएगा। 2011 में यह खर्च सिर्फ 18 रुपए था, जबकि 2021 की टली हुई जनगणना के लिए 64 रुपए प्रति व्यक्ति का बजट तय किया गया था। केंद्र सरकार ने 2027 की जनगणना के लिए 11,718.24 करोड़ रुपए के खर्च को मंजूरी दी है। यह जनगणना दो चरणों में होगी-पहले 2026 में मकानों की सूची और हाउसिंग जनगणना की जाएगी, फिर 2027 की शुरुआत में जनसंख्या की गिनती होगी। 2021 की जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ रुपए का बजट तय हुआ था। हालांकि, यह कोरोना के कारण टल गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के बाद से महंगाई में करीब 29% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि जनगणना का कुल खर्च 28% बढ़ा है। 2021 में जातिगत आंकड़े शामिल नहीं थे। जनगणना 2027 की प्रक्रिया दो स्टेज में होगी केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 2 दिसंबर को लोकसभा को बताया कि जनगणना 2027 की प्रक्रिया दो स्टेज में होगी, जिसकी शुरुआत 2026 में घरों की लिस्टिंग और घरों का डेटा इकट्ठा करने से होगी। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के एक सवाल के लिखित जवाब में विवरण देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पहले चरण में आवास गणना और दूसरे चरण में आबादी की गणना की जाएगी। पहला फेज अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच 30 दिन में पूरा होगा। इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश टाइमलाइन तय करेंगे। दूसरा फेज जिसमें आबादी की गिनती होगी, वह फरवरी 2027 में होगा। जनगणना 2027 की टाइमलाइन पिछली जनगणनाओं में अपनाए गए तरीकों की तरह ही रखी गई है। मंत्रालय के मुताबिक 1 मार्च 2027 को रात 12 बजे पूरे देश में गिनती के लिए रेफरेंस डेट होगी। हालांकि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों के लिए, आबादी की गिनती सितंबर 2026 में की जाएगी। 1 अक्टूबर 2026 को रेफरेंस डेट माना जाएगा। जून में जारी हुआ था जनगणना का गजट नोटिफिकेशन गृह मंत्रालय ने 16 जून को जनगणना के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। केंद्र ने 30 अप्रैल 2025 को जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया था। देश में आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जातीय जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। 2011 में सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर इसके SC-ST हाउसहोल्ड के आंकड़े ही जारी किए गए हैं। जनगणना फॉर्म में 29 कॉलम, केवल SC-ST की डिटेल 2011 तक जनगणना फॉर्म में कुल 29 कॉलम होते थे। इनमें नाम, पता, व्यवसाय, शिक्षा, रोजगार और माइग्रेशन जैसे सवालों के साथ केवल SC और ST कैटेगरी से ताल्लुक रखने को रिकॉर्ड किया जाता था। अब जाति जनगणना के लिए इसमें एक्स्ट्रा कॉलम जोड़े जा सकते हैं। जातियों की गिनती के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा जनगणना एक्ट 1948 में SC-ST की गणना का प्रावधान है। OBC की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे OBC की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार, 1,270 SC, 748 ST जातियां हैं। 2011 में SC आबादी 16.6% और ST 8.6% थी। राहुल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जाति जनगणना की मांग की थी। इसके बाद वे देश-विदेश की कई सभाओं और फोरम पर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। नीचे ग्राफिक में देखें राहुल ने कब और कहां जाति जनगणना की मांग दोहराई- ====================== जाति जनगणना से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जाति जनगणना से पहले कास्ट लिस्ट बनेगी, सभी पार्टियों से सहमति लेगी सरकार; OBC जातियों पर असमंजस जाति जनगणना से पहले केंद्र सरकार जातियों की सूची बनाएगी, ताकि सुनियोजित डेटा इक्ट्ठा हो। जातियों पर राजनीतिक सहमति के लिए इसे सर्वदलीय बैठक में भी रखा जाएगा। जातियों की मान्य सूची जरूरी है, क्योंकि अनुसूचित जाति और जनजाति तो गिनती में हैं। लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों पर असमंजस है। देश में जनगणना की प्रक्रिया 2026 में शुरू होने की संभावना है। पूरी खबर पढ़ें