सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को नोटिस जारी किया है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए बनाई जांच समिति को चुनौती दी है। याचिका में जजों की जांच अधिनियम की प्रक्रिया के तहत अकेले लोकसभा से बनाई गई 3 सदस्यों वाली समिति की वैधता को चुनौती दी गई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने लोकसभा स्पीकर के कार्यालय और दोनों सदनों के महासचिवों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2026 को होगी। 14 मार्च को दिल्ली में जज के आधिकारिक आवास के स्टोररूम में आग लगने के बाद जले हुए नोटों के बंडल मिले थे। संसद में महाभियोग लाने की प्रक्रिया क्या है... 1968 के जजों (जांच) अधिनियम के अनुसार एक बार जब किसी जज को हटाने का प्रस्ताव किसी भी सदन मेंस्वीकार कर लिया जाता है, तो स्पीकर या चेयरमैन जैसा भी मामला हो, उन आधारों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगा, जिनके आधार पर निष्कासन (लोकप्रिय शब्दों में महाभियोग) की मांग की गई है। जस्टिस वर्मा के वकील ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में उनके निष्कासन से जुड़े प्रस्ताव पेश करने के लिए यह जरूरी है कि जांच समिति लोकसभा और राज्यसभा दोनों संयुक्त रूप से बनाएं, न कि अकेले लोकसभा स्पीकर।