आने वाले समय में ये तकनीक एंडोस्कोपी जैसी तकलीफदेह जांचों की जरूरत को खत्म कर सकती है. साथ ही पाचन, इम्युनिटी और बीमारियों के इलाज में मददगार साबित होगी. इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल स्माल में प्रकाशित किया गया है और इसका पेटेंट भी फाइल किया जा चुका है.