भोपाल में मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन 20 दिसंबर की शाम को किया जाएगा। 21 दिसंबर से आम लोग इसमें सफर कर सकेंगे। फिलहाल, मेट्रो का संचालन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक होगा। रोज 17 ट्रिप चलेंगी। शुरुआती चरण में मेट्रो एम्स स्टेशन से सुभाषनगर स्टेशन तक जाएगी। भोपाल मेट्रो का न्यूनतम किराया 20 रुपए और अधिकतम किराया 70 रुपए तय किया गया है। मेट्रो प्रबंधन ने साफ किया है कि फ्री किराए वाला इंदौर मॉडल भोपाल में लागू नहीं किया जाएगा। यात्रियों को किसी भी तरह की मुफ्त यात्रा या किराए में छूट नहीं मिलेगी। 20 दिसंबर की शाम को मिंटो हॉल में आयोजित उद्धाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, सीएम मोहन यादव समेत जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी। केंद्रीय मंत्री खट्टर और सीएम मोहन यादव सुभाषनगर स्टेशन से मेट्रो में बैठेंगे और एम्स तक जाएंगे। यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिकॉर्डेड वीडियो मैसेज जारी किया जाएगा। 20 रुपए से 70 रुपए होगा किराया भोपाल मेट्रो का किराया तय कर दिया गया है। पहले दो स्टेशनों तक सफर करने पर 20 रुपए देने होंगे। तीन से चार स्टेशनों के लिए किराया 30 रुपए, पांच से आठ स्टेशनों तक 40 रुपए लगेगा। पूरा कॉरिडोर चालू होने पर अधिकतम किराया 70 रुपए होगा। 30 से 80 किमी प्रति घंटा रहेगी मेट्रो की स्पीड भोपाल के सुभाष नगर से एम्स तक मेट्रो कोच को ट्रैक पर दौड़ाकर ट्रायल रन किया जा रहा है। ट्रायल रन में न्यूनतम 30 और अधिकतम 80 किमी प्रतिघंटा रफ्तार रखी जा रही है। बीच-बीच में 100 से 120 किमी की रफ्तार से भी मेट्रो दौड़ाई जा रही है। 6.22 किमी की दूरी तय करेगी मेट्रो भोपाल मेट्रो ऑरेंज लाइन के पहले चरण में सुभाषनगर से एम्स तक 6.22 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। दूसरा चरण सुभाषनगर से करोंद तक प्रस्तावित है, जिसका निर्माण कार्य अगले दो से तीन वर्षों में पूरा होने की संभावना है। ट्रेन की तर्ज पर मेट्रो में भी टिकट लेनी पड़ेगी फिलहाल भोपाल मेट्रो में टिकट व्यवस्था पूरी तरह मैन्युअल रहेगी। यात्रियों को ट्रेन की तरह काउंटर से टिकट लेकर सफर करना होगा। ऑनलाइन या ऑटोमैटिक टिकटिंग सिस्टम अभी लागू नहीं किया जा रहा है। इंदौर मेट्रो में भी वर्तमान में यही व्यवस्था लागू है। दरअसल, भोपाल और इंदौर मेट्रो में ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम लगाने वाली तुर्किये की कंपनी ‘असिस गार्ड’ का टेंडर रद्द कर दिया गया है। यह मामला बीते चार महीनों से चर्चा में था। अगस्त में टेंडर निरस्त होने के बाद अब नई कंपनी के चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। अधिकारियों के मुताबिक इस प्रक्रिया में दो से तीन महीने का समय लग सकता है, तब तक मेट्रो में मैन्युअल टिकट सिस्टम ही जारी रहेगा। पिक एंड ड्रॉप की व्यवस्था ही रहेगी भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन के 8 स्टेशनों में से एक भी स्टेशन पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से यात्रियों को अपनी गाड़ियां खड़ी करने के लिए मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी। मेट्रो स्टेशनों पर सिर्फ पिक एंड ड्रॉप की व्यवस्था ही रहेगी। यानी, यात्री किसी गाड़ी से उतर और चढ़ सकेगा, लेकिन अपने वाहन यहां खड़े नहीं कर सकेगा। सूत्रों के अनुसार, मेट्रो कॉर्पोरेशन स्टेशन के नीचे आउटलेट्स बनाएगा। ऐसे में स्टेशन के नीचे पार्किंग की व्यवस्था नहीं मिलेगी। इस मुद्दे पर मेट्रो अफसरों का कहना है कि पार्किंग के लिए व्यवस्था कर रहे हैं ताकि यात्रियों को परेशानी का सामना न करना पड़े। प्रायोरिटी कॉरिडोर के बाद यह होगा भोपाल में सुभाष नगर से एम्स तक प्रायोरिटी कॉरिडोर है। इसमें कुल 8 स्टेशन बने हैं। यहां पर कमर्शियल रन पूरा होने के बाद पूरा फोकस ऑरेंज लाइन के दूसरे फेज के हिस्से सुभाष नगर से करोंद तक रहेगा। वहीं, ब्लू लाइन के लिए भदभदा से रत्नागिरी के बीच का काम भी तेजी से निपटाया जाएगा। साल 2018 से शुरू हुआ था मेट्रो का काम भोपाल में पहला मेट्रो रूट एम्स से करोंद तक 16.05 किलोमीटर लंबा है। इसमें से एम्स से सुभाष नगर के बीच 6.22 किलोमीटर पर प्राथमिकता कॉरिडोर के तौर पर 2018 में काम शुरू किया गया था। सुभाष नगर से आरकेएमपी स्टेशन तक काम पूरा हो चुका है। इसके आगे अलकापुरी, एम्स और डीआरएम मेट्रो स्टेशन के कुछ काम बाकी हैं, जो पूरे किए जा रहे हैं। रेलवे ट्रैक के ऊपर दो स्टील ब्रिज भी बनाए गए हैं। दो साल पहले हुआ था पहला ट्रायल भोपाल में पहली बार मेट्रो 3 अक्टूबर 2023 को पटरी पर दौड़ी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन तक मेट्रो में सफर किया था। डीपीआर में पार्किंग का प्रावधान नहीं भोपाल और इंदौर में जो भी मेट्रो स्टेशन बने हैं, वे बिना पार्किंग के ही हैं। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में ही पार्किंग का प्रावधान नहीं है। डीपीआर में ‘सब्जेक्टेड टू अवेलेबिलिटी ऑफ स्पेस’ का भी जिक्र है, यानी अलग से जगह मिली तो ही मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग बनाई जाएगी। भोपाल में जहां मेट्रो स्टेशन हैं, वहां पर सरकारी जमीन भी नहीं है, क्योंकि ये मुख्य सड़क पर ही बने है, यानी नीचे सड़क और ऊपर से मेट्रो गुजर रही है। मेट्रो अफसरों का कहना है कि भोपाल-इंदौर में मेट्रो स्टेशनों के लिए ज्यादा जगह नहीं है। दोनों शहर का मोबिलिटी प्लान बनवाया है। इसी के अनुरूप पब्लिक ट्रांसपोर्ट की योजना है। कोशिश ये है कि यात्री को 500 मीटर से ज्यादा न चलना पड़े। इसलिए मास ट्रांसपोर्ट विकसित किया है, यानी स्टेशन से उतरते ही यात्रियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिल जाए। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... भोपाल मेट्रो के लिए CMRS का ग्रीन सिग्नल भोपाल मेट्रो के कमर्शियल रन के लिए कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) का ग्रीन सिग्नल मिल गया है। तीन बार निरीक्षण करने के बाद सीएमआरएस ने अपनी एनओसी यानी, 'ओके' रिपोर्ट दे दी है। ऐसे में दिसंबर में ही प्रायोरिटी कॉरिडोर सुभाषनगर से एम्स के बीच मेट्रो का कमर्शियल रन हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर...