पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके दीपक जोशी ने महिला कांग्रेस की पूर्व प्रदेश सचिव पल्लवी राज सक्सेना से शादी कर ली है। सामने आई तस्वीरों में दीपक पल्लवी की मांग में सिंदूर भरते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि दैनिक भास्कर इन तस्वीरों की पुष्टि नहीं करता। बताया जा रहा है कि यह शादी आर्य समाज मंदिर में 4 दिसंबर को हुई। इसकी तस्वीरें पल्लवी ने ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की और बाद में डिलीट कर दी थीं। कांग्रेस नेता बृजेन्द्र शुक्ला ने दीपक जोशी की शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हुई बधाई दी। दो-तीन और महिलाओं से शादी की चर्चा दीपक जोशी जोशी की दो और महिलाओं से भी शादी की चर्चाएं हैं। इनमें से दो मामले कोर्ट तक भी पहुंचे हैं। पल्लवी से पहले नम्रता जोशी और शिखा जोशी (मित्रा) भी खुद को दीपक जोशी की पत्नी बता रही हैं। नम्रता का दावा है कि वे दीपक जोशी की पत्नी हैं और उनके घर में रहती हैं। जबकि, शिखा का दावा है कि उन्होंने 2016 में दीपक जोशी से शादी की थी, वे उनकी पत्नी हैं। जोशी की पहली पत्नी विजया का 2021 में कोरोना के चलते निधन हो गया था। पूर्व CM के बेटे के भाजपा से मोहभंग की कहानी दीपक जोशी साल 2013 में देवास जिले की हाटपिपल्या सीट से नाव जीतकर मप्र सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री बने थे। 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक नेता मनोज चौधरी ने दीपक जोशी को हरा दिया। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। साल 2020 में सिंधिया ने अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। इनमें हाटपिपल्या विधायक मनोज चौधरी भी शामिल थे। कांग्रेस के 6 और विधायकों ने भी पार्टी से किनारा कर लिया। नतीजा ये हुआ कि कमलनाथ सरकार गिर गई। इसके बाद सभी 28 सीटों पर उपचुनाव हुए। भाजपा ने सभी 28 सीटों पर कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को ही टिकट दिया। दीपक जोशी के राजनीतिक करियर का यही वो टर्निंग पॉइंट था, जब उनका पार्टी से मोहभंग हो गया। तीन साल बाद 2023 में उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली। 2021 में पत्नी की मौत के बाद दूरियां और बढ़ीं इसके बाद दीपक जोशी अपनी विधानसभा में सक्रिय नहीं रहे। साल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आ गई। 10 अप्रैल 2021 को दीपक जोशी, उनके बेटे जयवर्धन और पत्नी विजया जोशी भी कोरोना पॉजिटिव हो गए। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से गंभीर स्थिति थी। पत्नी विजया जोशी की हालत खराब हो गई। उन्हें इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। पत्नी के निधन का दीपक जोशी को बड़ा सदमा लगा। 2021 में वह ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आए। इसके बाद साल 2022 में भी उनकी सक्रियता ज्यादा नजर नहीं आई। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, पीएम को लिखा पत्र दिसंबर 2022 में दीपक जोशी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि बागली की तीनों नगर परिषद् में प्रधानमंत्री आवास योजना में करोड़ों का घोटाला हुआ है। इस पत्र में उन्होंने इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। पीएम मोदी को पत्र लिखने से पहले इसकी शिकायत उन्होंने प्रदेश संगठन के नेताओं से लेकर सीएम से की थी। उनसे जुड़े एक नेता बताते हैं कि दीपक जोशी ने कई बार शिकायत की लेकिन बीजेपी के बड़े नेताओं ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। भ्रष्टाचार के ये मामले विधानसभा में भी उठे। इसके बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो दीपक जोशी ने ये तक चेतावनी दी कि नए साल यानी 2023 में वे सड़क पर लड़ाई लड़ेंगे। इस चेतावनी का भी भाजपा के नेताओं पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद उन्होंने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दी। पत्नी की दूसरी पुण्यतिथि के एक दिन बाद भाजपा छोड़ी 2023 में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई थीं। दीपक जोशी लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय थे। जिस भ्रष्टाचार का मामला उठाया था, उस पर कार्रवाई न होने से नाराज भी थे। मई के महीने में उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगना शुरू हुए। दीपक जोशी ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया। 5 मई को पत्नी की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद 6 मई को जोशी अपने पिता की तस्वीर लेकर कांग्रेस कमेटी के दफ्तर पहुंचे, जहां कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। बुधनी में शिवराज सिंह के सामने घर वापसी की कांग्रेस ने दीपक को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया और खातेगांव से टिकट दिया था। वे इस चुनाव में हार गए थे। भाजपा प्रत्याशी आशीष शर्मा ने उन्हें 12542 वोटों से हराया था। इसके डेढ़ साल बाद ही जोशी फिर से बीजेपी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के नांदनेर में घर वापसी की। राजनीति के संत कहे जाते हैं पिता कैलाश जोशी देवास जिले के हाटपीपल्या में 14 जुलाई 1929 काे जन्मे स्व. कैलाश जोशी बागली विधानसभा से 1962 में पहली बार भारतीय जनसंघ पाटी से विधायक चुने गए। उसके बाद उन्होंने कभी पलटकर नहीं देखा और 1962 से लेकर 1993 तक बागली विधानसभा से 8 बार विधायक रहे। तीन बार भारतीय जनसंघ, एक बार जनता पार्टी और चार बार भारतीय जनता पार्टी के चिह्न पर उन्होंने चुनाव लड़ा। 1977-1978 में कुछ समय के लिए वे मुख्यमंत्री भी रहे। वे मप्र की राजनीति में संत नाम से प्रसिद्ध रहे। 8 बार विधायक रहने के साथ ही वे 2 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। 24 नवंबर 2019 को उनका निधन हो गया।