यह बिल मनरेगा के खिलाफ है और मोदी सरकार ने बीस सालों से चल रहे इस योजना को खत्म कर दिया है. कई विपक्षी राज्य जो कर्ज में डूबे हुए थे, उनके लिए यह बिल भारी पड़ सकता है क्योंकि अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वित्तीय भागीदारी का अनुपात साठ-चालीस कर दिया गया है, जो पहले नब्बे-दस था. इससे राज्य अपनी मजदूरों को भुगतान करने में असफल हो सकते हैं.