मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्षी सांसदों के महाभियोग प्रस्ताव का देश के 36 पूर्व जजों ने विरोध किया है। इससे पहले भी 56 पूर्व जज भी इस प्रस्ताव का विरोध जता चुके हैं। शनिवार को इन 36 जजों ने खुले पत्र में कहा- महाभियोग के प्रस्ताव का कदम जजों पर राजनीतिक-वैचारिक दबाव बनाने और डराने की कोशिश है। अगर इस तरह की कोशिशों को आगे बढ़ने दिया गया, तो यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों पर हमला होगा। क्योंकि लोकतंत्र में फैसलों की परीक्षा अपील और कानूनी समीक्षा से होती है, न कि महाभियोग की धमकियों से। दरअसल, जस्टिस स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को मंदिर और दरगाह से जुड़े मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद 9 दिसंबर को प्रियंका गांधी वाड्रा समेत इंडिया गठबंधन के 107 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। जज बोले- सभी को विपक्ष के प्रस्ताव की निंदा करनी चाहिए जजों ने 4 पूर्व CJI दीपक मिश्रा, रंजन गोगोई, ए.एस बोबड़े, डीवाई चंद्रचूड़ का भी पत्र में जिक्र करते हुए कहा कि इनके खिलाफ भी महाभियोग लाने की कोशिश की गई थी। जज संविधान और शपथ के प्रति जवाबदेह होते हैं, न कि राजनीतिक दबाव के लिए। इसलिए देश के सभी सांसदों, नागरिकों को विपक्ष के इस कदम की खुलकर निंदा करनी चाहिए। यह है पूरा मामला मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने एक राइट-विंग एक्टिविस्ट की याचिका पर 4 दिसंबर को सुनवाई करते हुए थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर मौजूद एक मंदिर और दरगाह से जुड़े मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला दिया था। जस्टिस स्वामीनाथन ने सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर के अधिकारियों को दूसरे पक्ष के विरोध के बावजूद दीपथून पर शाम 6 बजे तक दीपक जलाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार काफी भड़क गई थी और आदेश मानने से ही इनकार कर दिया। इसी के बाद से ही विरोध शुरू हुआ था। जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश को तमिलनाडु सरकार ने लागू करने से मना कर दिया। सरकार ने इसके पीछे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया था। इसी को आधार बनाकर महाभियोग लाने का तर्क दिया गया। अपने फैसले में जज ने स्पष्ट कहा था कि दीपथून पर दीप जलाने से दरगाह या मुसलमानों के अधिकारों पर कोई असर नहीं होगा। भगवान मुरुगन के निवास में शामिल है थिरुप्परनकुंद्रम तमिलनाडु के मदुरै से 10 किमी दूर दक्षिण में तिरुपरनकुंद्रम शहर है। इसे भगवान मुरुगन के 6 निवास स्थानों में से एक माना जाता है। यहां की थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर सुब्रमण्यस्वामी मंदिर मौजूद है। जो छठी शताब्दी का माना जाता है। पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी पर इतिहासकाल से ही कार्तिगई दीपम (दीपक) जलाया जाता जा रहा है। 17वीं शताब्दी में पहाड़ी पर सिकंदर बधूषा दरगाह का निर्माण कराया गया था। इसके बाद से ही यहां पर दीपक जलाने पर विवाद शुरू हुआ था। जो जारी है। 18 दिसंबर: दीपक विवाद में व्यक्ति ने थाने में सुसाइड किया दीपाथून दीपक विवाद को लेकर 18 दिसंबर को मदुरै में पूर्णचंद्रन (40) ने पुलिस चौकी में खुद को आग लगाई थी। इलाज के दौरान अस्पताल में पूर्णचंद्रन की मौत हुई। उसके दोस्तों ने पुलिस को बताया था कि पूर्णचंद्रन ने सुसाइड से पहले ऑडियो क्लिप शेयर किया था। इसके बाद पुलिस ने पूर्णचंद्रन का मोबाइल रिकवर किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑडियो क्लिप में पुरुष की आवाज है। जो दीपक विवाद की घटना से परेशान होने की बात कहता सुनाई दे रहा है। साथ ही पेरियार प्रतिमा के पास खुद को आग लगा देने की बात भी कही है। ऑडियो में पुरुष कहता है... मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के उस आदेश को लागू नहीं किया गया, जिसमें थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर दरगाह के पास विवादित स्तंभ पर दीपम (दीपक) जलाने की परमिशन दी गई थी, लेकिन मंदिर प्रशासन ने पहाड़ी की चोटी पर मौजूद उची पिल्लैयार मंदिर के पास ही दीपक जलाना जारी रखा। दीपम पेरियार की प्रतिमा के पास क्यों जलाया गया। ऐसा मंदिर की बदनामी से बचने के लिए किया गया। मैंने पेरियार की प्रतिमा के सामने दीपम इसलिए जलाया, क्योंकि जो लोग कहते हैं कि भगवान नहीं है। उनके सामने भगवान के लिए यह काम करना चाहता था। मुझे नहीं पता कि सरकार को दीपक जलाने से क्या समस्या है। सभी हिंदुओं को इस बारे में सोचना चाहिए। दीपाथुन पर दीपक जलाने से मदुरै को अधिक प्रसिद्धि मिलेगी। वहीं, मामल पर मंदिर प्रशासन का कहना है कि स्तंभ ही परंपरागत स्थान है, जहां दीपम जलाया जाता है। पिछले 100 साल से दीपम यहीं जलता आ रहा है। 1 दिसंबर: कोर्ट ने कहा था- दीपक जलाने से मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं मामले पर मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि तमिल परंपरा के हिसाब से मंदिर प्रशासन दीपाथून पर ही दीपक जलाए। इससे पास स्थित दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता। हाईकोर्ट का आदेश लागू नहीं होने पर 3 दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने एक और आदेश दिया। इसमें कहा गया कि श्रद्धालु खुद कर दीपक जलाकर आएं। CISF लोगों की सुरक्षा तय करे। कोर्ट के इस फैसले पर राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला दिया और आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। ........................... जज विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... जस्टिस स्वामीनाथन को 56 पूर्व जजों का समर्थन: कहा- ये डराने की कोशिश मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्षी सांसदों के महाभियोग प्रस्ताव का देश के 56 पूर्व जजों ने विरोध किया। पूर्व जजों ने खुले पत्र में कहा कि यह कदम जजों पर राजनीतिक-वैचारिक दबाव बनाने और डराने की कोशिश है। पूरी खबर पढ़ें...