केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय फास्टैग को मल्टीपर्पस बनाने की तैयारी में है। इसके तहत अब पार्किंग से लेकर पेट्रोल तक का पेमेंट फास्टैग से कर सकेंगे। इसके लिए छह महीने से जारी ट्रायल सफल रहा है। इसका उद्देश्य है कि फास्टैग का उपयोग सिर्फ टोल भुगतान तक सीमित न रहे, बल्कि यात्रा के दौरान रोड साइड एमिनिटीज के भुगतान में भी हो। अधिकारियों ने कहा- इससे डिजिटल फ्रॉड की आशंका कम होगी। यूजर फास्टैग को वॉलेट की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे, जिससे धोखाधड़ी की स्थिति में नुकसान कम हो। किन सुविधाओं के लिए होगा इस्तेमाल इस बदलाव को लेकर फिनटेक कंपनियां, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स, बैंक और टोल ऑपरेटर्स की बैठक हो चुकी है। इसमें इन चीजों के लिए सहमति बनी- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फास्ट-टैग से कटेगा पार्किंग का किराया उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक (DRM) पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में एक नई पॉलिसी तैयार की गई है। इस नीति से स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वारों पर लगने वाले जाम तथा ओवरचार्जिंग की समस्या लगभग समाप्त हो जाएगी। क्या है नई पॉलिसी? दिल्ली मंडल की इस नई नीति के तहत टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। नई कंपनी 28 दिसंबर को पार्किंग मैनेजमेंट का कार्यभार संभाल लेगी। टेंडर की शर्तों के अनुसार, कंपनी को एक माह के भीतर यात्रियों की सुविधाओं, वाहनों के प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी सभी मानकों को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा। हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार, अजमेरी गेट की ओर तीन विशेष पाथवे बनाए जा रहे हैं। इन पाथवे के माध्यम से यात्री अपने सामान के साथ आसानी से सुरक्षा जांच और स्कैनिंग पॉइंट तक पहुंच सकेंगे। ट्रेन से उतरने वाले यात्री स्टेशन परिसर से बाहर निकलकर निर्धारित लेन से अपनी टैक्सी, बस या मेट्रो तक आसानी से पहुंच पाएंगे। -------------- ये खबर भी पढ़ें... हर साल 5 लाख सड़क हादसों में 1.8 लाख मौतें:इनमें 18-34 की उम्र के युवा ज्यादा; सरकार 10 मिनट में एंबुलेंस पहुंचाने की योजना लाएगी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 18 दिसंबर को राज्यसभा में बताया कि भारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें औसतन 1.8 लाख लोगों की जान जाती है। इनमें से 66% मौतें युवाओं (18 से 34 साल) की होती हैं। गडकरी ने स्वीकार किया कि रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने और कानून सख्त करने के बावजूद सरकार मौतों की संख्या घटाने में पूरी तरह सफल नहीं हुई है। पूरी खबर पढ़ें...