तारिक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश वापसी ने बीएनपी को राजनीतिक मजबूती दी है और विपक्षी खेमे में नेतृत्व की असमंजस को खत्म किया है. उनकी वापसी से जमात-ए-इस्लामी को बड़ा झटका लग सकता है. बीएनपी समर्थकों की रैलियां और शक्ति प्रदर्शन इस बात का संकेत हैं कि पार्टी चुनावी मोड में पूरी ताकत से उतर चुकी है और जमात की मुश्किलें बढ़ने वाली है.