भारत ब्रह्मोस के नए वर्जन तैयार कर रहा:450-800 किमी तक रेंज होगी; दिल्ली से ही इस्लामाबाद को निशाना बनाया जा सकेगा

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 6 एयरबेस को तबाह कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल अब और भी ताकतवर होने जा रही है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, ब्रह्मोस की रेंज, रफ्तार और मारक क्षमता को और बेहतर किया जा रहा है। फिलहाल इसकी रेंज करीब 300 किलोमीटर है, लेकिन नए वर्जन में इसे 450 किलोमीटर से लेकर 800 किलोमीटर तक बढ़ाने पर काम चल रहा है। इन नई मिसाइलों के आने के बाद दिल्ली से ही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद को निशाना बनाया जा सकता है। दिल्ली और इस्लामाबाद की हवाई दूरी 700 किमी है। वहीं, ब्रह्मोस का हल्का वर्जन भी बनाया जा रहा है। ब्रह्मोस का करीब ढाई टन वजनी खास वर्जन सुखोई एमकेआई-30 लड़ाकू विमान के नीचे (अंडरबेली) लगाने के लिए तैयार किया गया है। यह वर्जन अब प्रोजेक्ट डिजाइन बोर्ड से मंजूरी के बाद अगले चरण में पहुंच गया है। अभी ज्यादा रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल के ग्राउंड ट्रायल की तैयारी चल रही है। इस नए वर्जन के अगले तीन साल में पूरी तरह विकसित होने की उम्मीद है। अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक रहा, तो ब्रह्मोस के इस नए संस्करण का पहला परीक्षण 2027 के अंत तक किया जा सकता है। 2016 से चल रही तैयारी, अब 3 रेंज वाले अवतार ब्रह्मोस दुनिया की सबसे घातक और तेज मिसाइलों में से एक है। यह दागो और भूल जाओ तकनीक पर मैक 3.0 गति से हमला करती है। दुश्मन के राडार इसे नहीं पकड़ पाते। 2016 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का सदस्य बना। इसमें 35 सदस्य देश हैं। तब से ही ब्रह्मोस की रेंज 300 किमी से बढ़ाने का काम शुरू हुआ। दरअसल नियमों के मुताबिक जो देश इस रिजीम के सदस्य नहीं हैं, उन्हें 300 किमी से अधिक रेंज वाली मिसाइल तकनीक नहीं दी जा सकती है। इसीलिए ब्रह्मोस की रेंज सीमित थी। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस की रेंज 450, 600 और 800 किमी करने के लिए नए वर्जन का काम चल रहा है। वायुसेना के लिए ब्रह्मोस का वजन घटा रहे हैं। जमीन-समुद्र से हमला करने वाली ब्रह्मोस 3 टन वजनी होती है। वायुसेना के लिए वजन घटाकर ढाई टन लाया जा रहा है। पनडुब्बी से K-4 परमाणु मिसाइल का टेस्ट सफल इस बीच, भारत ने बंगाल की खाड़ी में परमाणु क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। रक्षा सूत्रों ने बताया कि मिसाइल को परमाणु चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से लॉन्च किया गया था। इसकी रेंज 3500 किमी है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि यह टेस्ट मंगलवार को विशाखापट्टनम तट के पास किया गया। भारत जमीन, हवा के बाद अब समुद्र से भी परमाणु हथियार लॉन्च कर सकेगा। ये मिसाइल 2 टन तक न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। K-सीरीज की मिसाइलों में “K” अक्षर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है। इनकी भारत के मिसाइल कार्यक्रम में अहम भूमिका रही है। -------------------- ये खबर भी पढ़ें... नौसेना को स्टेल्थ युद्धपोत तारागिरि मिला:यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल और आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम से लैस, समुद्र में भारत की ताकत बढ़ी नौसेना को स्टेल्थ फ्रिगेट (युद्धपोत) ‘तारागिरी’ सौंप दिया गया। इसे मझगांव डॉक शिप बिल्डिंग लिमिटेड ने प्रोजेक्ट 17-ए के तहत तैयार किया है। यह नीलगिरि-क्लास का चौथा युद्धपोत है। इसे 28 नवंबर को मुंबई में सौंपा गया। पूरी खबर पढ़ें...