असम में विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले वोटर लिस्ट का स्पेशल रिवीजन किया गया है। इसमें 10,56,291 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग ने असम में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की जगह स्पेशल रिवीजन नाम से कराया था। शनिवार को इलेक्शन कमीशन के जारी ड्राफ्ट रोल के मुताबिक असम में कुल 2,51,09,754 वोटर हैं। इसमें 93,021 हजार से ज्यादा D-वोटर यानी डाउटफुल वोटर शामिल नहीं हैं। इसके अलावा मौत, नई जगह शिफ्ट होने या डुप्लीकेट एंट्री होने की वजह से 10.56 लाख नाम हटाए गए हैं। असम में स्पेशल रिवीजन 22 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच किया गया था। इस दौरान वोटरों के घर-घर जाकर जांच की गई, जिसके बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई। वोटर 22 जनवरी तक दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। फाइनल इलेक्टोरल रोल 10 फरवरी को पब्लिश किए जाएंगे। D-वोटर वे लोग होते हैं, जिनकी नागरिकता पर सरकार को शक होता है। ऐसे लोगों को वोट देने की परमिशन नहीं होती। इन्हें फॉरेनर्स एक्ट, 1946 के तहत खास ट्रिब्यूनल तय किया जाता है और इन्हें वोटर कार्ड भी नहीं दिया जाता। इन डी-वोटर्स की जानकारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में अलग से जोड़ी गई है। 61 लाख घरों में वेरिफिकेशन किया इसमें कहा गया है कि 10.56 लाख में से 4,78,992 नाम मौत की वजह से, 5,23,680 वोटर अपने रजिस्टर्ड पते से कहीं और चले गए थे, और 53,619 डेमोग्राफिक रूप से मिलती-जुलती एंट्री की पहचान सुधार के लिए की गई थी। इसमें कहा गया है कि राज्य भर में 61,03,103 घरों में वेरिफिकेशन किया गया। बयान में कहा गया है कि इस काम में 35 डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर (DEOs), 126 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (EROs), 1260 AEROs, 29,656 बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs) और 2,578 BLO सुपरवाइजर शामिल थे। इस प्रक्रिया के बाद असम में कुल 31,486 मतदान केंद्र हैं। इसमें कहा गया है कि पॉलिटिकल पार्टियों ने इस प्रोसेस में मदद और मॉनिटरिंग के लिए 61,533 बूथ लेवल एजेंट (BLAs) तैनात किए। 12 राज्यों में SIR लिस्ट जारी हुई थी जहां केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इलेक्टोरल रोल का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चल रहा है, वहीं असम में चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने अलग से स्पेशल रिवीजन कराने का आदेश दिया था। चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि सिटिजनशिप एक्ट के तहत असम में नागरिकता को लेकर अलग नियम हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता की जांच का काम अपने अंतिम चरण में है। अधिकारियों के अनुसार यह स्पेशल रिवीजन, सालाना स्पेशल समरी रिवीजन और SIR के बीच की प्रक्रिया है। इसका मकसद एक सही और साफ-सुथरी वोटर लिस्ट बनाना है। इसमें योग्य लेकिन अब तक शामिल न हुए वोटरों का नाम जोड़ा जाता है। नाम, उम्र और पते में हुई गलतियों को ठीक किया जाता है। मृत लोगों के नाम हटाए जाते हैं। स्थान बदल चुके वोटरों और एक से ज्यादा बार दर्ज नामों की पहचान कर उन्हें हटाया जाता है।