सुप्रिया श्रीनेत का बीजेपी पर हमला

राजनीति में अक्सर बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है जिससे बात का मूल अर्थ बदल जाता है और असल मुद्दों से ध्यान भटक जाता है। जब कोई भी पक्ष ऐसा करता है तो संवाद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर पड़ती है.