देवता भी बंटे और जल-जंगल, जमीन भी... कैसे बनी तमिलों की 'देव पंचायत'?

तमिलों की भूमि पहले से ही अपनी अलग आस्थाओं और मान्यताओं से समृद्ध थी. ये परंपराएं स्थानीय खासियतों के साथ रची गईं थीं. यहां के गांवों और जनजातियों ने ईश्वर के आह्वान के अपने-अपने तरीके विकसित कर लिए थे. स्थानीय देवताओं को स्थानीय बोलियों में पुकारा जाता था. इस बड़े स्प्रिचुअल मैप में हर देवता और परंपरा को जगह मिली हुई थी.