राष्ट्र ‘चिकन’ बनकर नहीं चल सकता, उसे ‘हाथी’ बनना होगा:सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव बोले- 1971 में हमने मौका गंवा दिया

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा है कि सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत के विभाजन से पैदा हुई 78 साल पुरानी विसंगति है, जिसे 1971 में ठीक किया जाना चाहिए था। अब जब देश की संप्रभुता को खुली चुनौती मिल रही है, तो समय आ गया है कि इस ‘चिकन’ को पोषण देकर ‘हाथी’ बनाया जाए। बेंगलुरु स्थित सद्गुरु सन्निधि में आयोजित सत्संग के दौरान सोमवार को जब उनसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर की गई टिप्पणियों पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे भारत के विभाजन की देन बताया। सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली बेहद संकरी जमीन(22 किलोमीटर) है। यह स्थिति 1947 के विभाजन के समय बनी थी। उन्होंने कहा कि भले ही 1946-47 में भारत के पास इसे सुधारने का अधिकार या परिस्थितियां न रही हों, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद भारत के पास पूरा अवसर और अधिकार था, जिसे खो दिया गया। सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी अपनी बात शेयर की। सद्गुरु ने कहा कि किसी भी देश की नींव कमजोरी पर नहीं टिक सकती। राष्ट्र सिर्फ ‘चिकन’ बनकर नहीं चल सकता, उसे ‘हाथी’ बनना होगा। इसके लिए अगर पोषण चाहिए, ताकत चाहिए, या कोई और ठोस कदम उठाने पड़ें, तो वह करना ही होगा। हर कदम की कीमत होती है, लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा उससे कहीं बड़ी है। सब कुछ ठीक हो जाएगा, एक अव्यावहारिक सोच है उन्होंने यह भी कहा कि आदर्श स्थिति में दुनिया बिना सीमाओं और देशों की हो सकती है, लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात में यह सोच व्यावहारिक नहीं है। यह अच्छा होता अगर दुनिया में कोई सीमा न होती, लेकिन हम अभी उस स्तर पर नहीं हैं। अचानक यह मान लेना कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, एक अव्यावहारिक सोच है। सद्गुरु ने दोहराया कि यह विसंगति केवल 78 साल पुरानी है और इसमें सुधार अब भी संभव है। ‘हाथी की गर्दन को संभालना आसान होता है,’ कहते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि सिलिगुड़ी कॉरिडोर को मजबूत करना समय की मांग है। गौरतलब है कि सद्गुरु पहले भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा, मंदिरों के विनाश और डेमोग्राफिक प्रेशर (​​​​​​​जनसांख्यिकीय दबाव) को लेकर चिंता जता चुके हैं। ये खबर भी पढ़ें:​​​​​​​​​​​​​​ क्या है 'चिकन नेक' जिस पर है चीन की नजर:बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भारत नुकसान में; टूरिस्ट घटे, बिजनेस चौपट​​​​​​​ ‘हम 10 साल से सिलीगुड़ी में टैक्सी चला रहे हैं। बांग्लादेश में सत्ता बदलने के बाद से बहुत घाटा हुआ है। पहले रोज बांग्लादेश से 1000-1200 टूरिस्ट आ जाते थे। अब सिर्फ 100-150 ही आते हैं। वहां हालात और भी बिगड़ रहे हैं। ऐसा रहा तो हमें रोजी-रोटी तक की दिक्कत हो जाएगी।‘ अब्दुल पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में टैक्सी चलाते हैं। महज 22 किलोमीटर चौड़े इस कॉरिडोर में बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। सुरक्षा के लिहाज से ये इलाका काफी संवेदनशील है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकन नेक कॉरिडोर भी कहा जाता है। पढ़ें पूरी खबर...