केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 4.18 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। सरकार का कहना है कि मौजूदा रफ्तार बनी रही तो भारत 2030 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। सरकार के बयान के मुताबिक, भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 8.2% रही। इससे पहले पहली तिमाही में यह 7.8% और पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7.4% थी। सरकार की ओर से जारी 2025 में किए गए सुधारों के आकलन में कहा गया है कि 4.18 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत चौथे स्थान पर पहुंच गया है। अनुमान है कि 2030 तक जीडीपी 7.3 ट्रिलियन डॉलर होने पर भारत तीसरे स्थान पर आ सकता है। फिलहाल अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी और चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बयान के मुताबिक, वैश्विक व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी छह तिमाहियों के उच्च स्तर पर पहुंची। इस वृद्धि में घरेलू मांग, खासकर निजी उपभोग की अहम भूमिका रही। सरकार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी भारत की विकास दर को लेकर सकारात्मक अनुमान जताए हैं। विश्व बैंक ने 2026 के लिए 6.5% वृद्धि का अनुमान लगाया है। मूडीज़ के अनुसार भारत 2026 में 6.4% और 2027 में 6.5% वृद्धि के साथ जी-20 देशों में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ ने 2025 के लिए वृद्धि अनुमान 6.6% और 2026 के लिए 6.2% किया है। ओईसीडी ने 2025 में 6.7% और 2026 में 6.2% वृद्धि का अनुमान दिया है। एसएंडपी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5% और अगले वित्त वर्ष में 6.7% रह सकती है। एशियाई विकास बैंक ने 2025 के लिए अनुमान बढ़ाकर 7.2% किया है, जबकि फिच ने मजबूत उपभोक्ता मांग के आधार पर FY26 के लिए 7.4% का अनुमान दिया है। सरकार ने कहा कि भारत 2047 तक उच्च मध्यम-आय वाला देश बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए आर्थिक वृद्धि, संरचनात्मक सुधार और सामाजिक प्रगति को आधार बनाया जा रहा है। बयान में यह भी कहा गया कि महंगाई तय निचली सहनशील सीमा से नीचे बनी हुई है। बेरोज़गारी में गिरावट का रुझान है और निर्यात प्रदर्शन में सुधार जारी है। इसके साथ ही वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं, वाणिज्यिक क्षेत्र को कर्ज प्रवाह मजबूत है और शहरी उपभोग के मजबूत होने से मांग बनी हुई है।