न्यू ईयर ईव पर फूड-ग्रॉसरी डिलीवरी ठप हो सकती है:देशभर के गिग वर्कर्स की आज हड़ताल; ₹20 प्रति किमी और ₹40 हजार फिक्स सैलरी की मांग

साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को ऑनलाइन खाना मंगाने या ग्रोसरी ऑर्डर करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। देशभर के गिग वर्कर्स (डिलीवरी और टैक्सी ड्राइवर्स) ने आज देशभर में हड़ताल का ऐलान किया है। वर्कर यूनियन का आरोप है कि एप बेस्ड कंपनियां उनका शोषण कर रही हैं और उन्हें बेसिक कानूनी अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। गिग एंड प्लेटफॉर्म सर्विसेज वर्कर्स यूनियन (GIPSWU) ने केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत दखल देने की मांग की है। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका असर देश की इकोनॉमी की ग्रोथ पर भी पड़ेगा। इससे पहले 25 दिसंबर को भी डिलीवरी वर्कर्स ने सांकेतिक हड़ताल की थी। न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर असर- दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में दिक्कत इस हड़ताल को महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-NCR समेत कई राज्यों के संगठनों का समर्थन मिला है। आज रात न्यू ईयर ईव पर जब फूड और ग्रॉसरी की डिमांड सबसे ज्यादा होती है, तब 1 लाख से लेकर 1.5 लाख तक डिलीवरी राइडर्स एप से लॉग-आउट रह सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में दिखेगा। वर्कर 10 मिनट में डिलीवरी का विरोध कर रहे हड़ताल के पीछे सबसे बड़ा कारण काम का प्रेशर और कमाई में कमी है। यूनियन ने मांग रखी है कि 10 से 20 मिनट के भीतर डिलीवरी करने के दबाव को तुरंत खत्म किया जाए। वर्कर्स का कहना है कि इतने कम समय में डिलीवरी करने का मतलब है कि हम तेज चलें, इससे हमेशा सड़क हादसों का खतरा बना रहता है। इसके अलावा जोमैटो, स्विगी, ब्लिंकिट, जेप्टो और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से जुड़े वर्कर्स ने प्रति किलोमीटर 20 रुपए की रेट तय करने की मांग की है। 40 हजार फिक्स सैलरी और आईडी ब्लॉक करना बंद हो गिग वर्कर्स ने अपनी मांगों का एक चार्टर सरकार को सौंपा है, इसमें प्रमुख मांगे शामिल हैं: 'मॉडर्न शोषण' आवाज उठाने पर मिलती है धमकी तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) के संस्थापक अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन का कहना है कि जब भी वर्कर्स अपनी आवाज उठाते हैं, कंपनियां उनकी आईडी ब्लॉक कर देती हैं या पुलिस की धमकी देती हैं। उन्होंने इसे 'आधुनिक दौर का शोषण' करार दिया है। सलाउद्दीन के मुताबिक, प्लेटफॉर्म कंपनियों को रेगुलेट करने की जरूरत है ताकि वर्कर्स को सम्मान और सुरक्षा मिल सके।