सैलाब में खो गया सुकून... कोविड के बाद अचानक 'घुमक्कड़' कैसे हो चली जिंदगी?

कोरोना के बाद भारत में एक नई आदत नहीं, बल्कि एक नई मानसिकता पैदा हुई है. 'अब नहीं तो कभी नहीं' की मानसिकता. लॉकडाउन ने लोगों से सिर्फ आजादी नहीं छीनी थी, उसने समय का भरोसा भी छीन लिया था. नतीजा यह हुआ कि जैसे ही पाबंदियां हटीं, लोग घरों से नहीं, बल्कि भीतर जमी हुई बेचैनी से बाहर निकले.